What are Human Rights | Steps by NHRC In Corona time in हिन्दी

    

भारत मे NHRC Parliament द्वारा Human Rights Act की Protection के लिए 12 October 1993 में सेट अप किया गया था। National Human Rights Commission मानवा अधिकारों की सुरक्षा के लिए ही बनाया गया। 2021 तक Justice Prafulla Chandra Pant (Acting) चेयरर्सन होंगे, NHRC आज के इस समय मे भी अपना बहूमूल्य योगदान दे रहा है यदि समाज मे असमाजिक तत्व या प्रशासन से भी किन्ही मानवाधिकारों का उल्लंघन हो जाता है तो National Human Rights Commission के पास कार्यवाही करने या सरकार को कार्यवाही करने के लिए नोटिस देना यह सब NHRC के की कार्यवाही का हिस्सा है। 




मानवा अधिकार क्या हैं

दुनिया मे ऐसे बहूत से देश हैं जो मानव अधिकारों के लिए या तो लड़ रहे हैं या मानव अधिकारों को अभी तक समझ रहे लेकिन फिर भी मानवा अधिकारों को समझने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि आखिर मानव कोन है क्या है मानव की परिभाषा ?
मानव होमोसेपियन जाति का सदस्य है और करोड़ो वर्षो से अनेक सभ्यताओं को बनाने वाला एक सामाजिक प्राणि है। मानव के मस्तिष्क ने करोडो वर्षो से प्रकृति के अन्य जीवों को पीछे छोड़ आज नया आयाम बनाया है।

अधिकार

मानव को समझने के बाद हमे अधिकारों को समझने की जरूरत है अधिकार वेसे तो बच्चों बड़ो पुरूष स्त्री टीचर माँ बाप नेता अभिनेता कर्मचारी ओर जितनी भी जिम्मेदारियां मानव निभाता है उन सभी रोल में उसके कुछ अधिकार होते हैं,लेकिन इन सब से पहले किसी भी व्यक्ति के सम्मपूर्ण विकास की यात्रा आरम्भ हो उससे पहले अधिकार तो उसके जीवन से ही आरम्भ हो जाते है। 

अधिकारों का आरम्भ व्यक्ति के जीवन से होता है और उसके सम्मपूर्ण विकास तक अधिकार उसके साथ रहते हैं। लेकिन अधिकार केवल व्यक्ति के कर्तव्य से नही जूड़ते बल्कि ये केवल व्यक्ति के जीवन जीने ओर उसे अपने तरीके से जीने की आजादी है लेकिन तब तक जब तक की ये दूसरों के लिए परेशानी ना बने,अधिकारों का आधार केवल ओर केवल अपना स्वार्थ कतई नही हो सकता।

मानवा अधिकार  

केवल राज्य सरकारों द्वारा दिये गए अधिकार नही है ये तो समाज द्वारा समझे गए और समय द्वारा समझाए गए जरूरी शब्द है जिन्हें अपनाना  फायदेमंद रहा है अधिकारो की शूरूआत केवल आधुनिक युग से नही हुई बल्कि पुराणिक काल से मानव कुछ अधिकारों की वजह से ही इतने समय तक अपना विकास करता रहा है हां इतना जरूर है कि अधिकार हर समय मे हर संस्कृति में अलग अलग तरह से समझे और माने गए लेकिन पुराणिक समय मे अधिकारों पर परिभाषा देना राज्य  प्रशासन या किसी राजा की जिम्मेवारी नही रही है यह तो नैतिकता और धर्म ग्रन्थ पर आधारित रहे हैं। 

नैतिक अधिकार पुराणिक काल से चले आ रहे हैं जिनका सम्बंध व्यक्ति के नैतिक विचारो के विकास से है इन अधिकारों को किसी राज्य द्वारा मानने की जरूरत नही होती थी यह अपने आप ही समाज द्वारा सरंक्षित थे लेकिन आज के समय मे नैतिक अधिकारों को भी कानूनी अधिकारों में बदलने की जरूरत पड़ रही है।

अंतराष्ट्रीय संगठन ने मानव अधिकारों को उनके जीने के अधिकार से लेकर व्यक्ति के विकास से होते हुए उसके अंत तक के लिए कुछ अधिकारों को समझा और सभी देशों की सहमति से माना गया है । अंतराष्ट्रीय संघठन ने भी अधिकारों को नेचुरल ओर इंग्लिश में बांटा है इस मेसे नेचुरल अधिकार पुराणिक काल धर्म और नैतिकता का समूह है और इंग्लिश परिभाषा पूरी तरह मॉडर्न लॉ की परिभाषा पर है। 

लेकिन अंतराष्ट्रीय समूह ने विश्व यूद्ध के बाद होने वाले देशों के आपसी संघर्ष में हुए मानवता के हनन से ये समझा की मानवता की सुरक्षा के लिए उन्हें अधिकारों से सूरक्षित कर देना ही एक मात्र उपाय हैं ।

बात अब दुनिया में भारत देश की करें तो यहां की सभ्यता और संस्कृति ने पहले से ही अधिकारों की बात की है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि ये अधिकार हर काल मे बड़े बड़े राजाओं ओर उनके पंडितों द्वारा अपनी सहूलियत के लिए तोड़े ओर मरोड़े गए। लेकिन नैतिक अधिकारों ने यहाँ भी मानवता को कई कालो में जिंदा बनाये रखा ।


भारत मे मानवाधिकार व दूसरे देशों में

भारतीय संविधान में भी भारत को कुछ मानवाधिकारों से जोड़ा है सविंधान में मानवाधिकारों को भी अंतराष्ट्रीय संगठन की तर्ज़ पर ही रखा गया है,भारत मे मानवाधिकार कुछ इस प्रकार हैं।

1.सम्मानता का अधिकार आर्टिकल 14 में दर्ज है।

2.स्वतन्त्रता का अधिकार आर्टिकल 19 में दर्ज है।

3.शोषणता (Exploitation) के खिलाफ खड़े होने का अधिकार आर्टिकल 23 से 24 में दर्ज है।

4.(Freedom of Religion) किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार आर्टिकल 25 से 28 में दर्ज है।

5.शिक्षा का अधिकार आर्टिकल 21 A में दिया गया है

6.किसी भी सांस्कृतिक शिक्षा का अधिकार आर्टिकल 29(1)

7.(Constitutional Remedy) आर्टिकल 32

दूसरे देश भी मानवाधिकारों पर अपने अपने क़ानूनों में तब्दीलियां कर रहे हैं लेकिन बहूत से लोग मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आगे आये हैं उन्हीं में भारत भी एक ऐसा देश है जो दुनिया मे हो रहे मानवाधिकारों के उलंघन पर अपनी आवाज उठता रहा है।

(NHRC) नेशनल हियुमन राइट्स कोमिशन 

भारत मे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग केवल भारत मानवाधिकार की रक्षा के लिए नियुक्ति किया गया है,भारत मे मानवाधिकार आयोग समय समय पर अपनी कार्यवाही करता रहता है जब भी मानवाधिकारों की रक्षा का मामला सामने आता है तो आयोग सरकार को कार्यवाही के लिए नोटिस देकर अपनी उपस्थिति दर्ज करता है। 

12 अक्टूबर 1993 को आयोग को मानवाधिकारों की रक्षा के लिए नियुक्त किया था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार में 7 मेंम्बर होते हैं जिनमे एक अध्यक्ष ओर उपाध्यक्ष होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मानवाधिकार के अध्यक्ष होते हैं। 2021 तक Justice Prafulla Chandra Pant (Acting) एक्टिंग चेयरपर्सन हैं।

1991 में पेरिस में हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक ने सिद्धांतों का एक समूह तैयार किया जो आगे चलकर राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की स्थापना और संचालन की नींव साबित हुए। 

कार्य व शक्तियां 

1.राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग किसी भी स्थिति में कोई भी मानवाधिकार का उलंघन होने पर राज्य सरकार और सेंटर सरकार को नोटिस देकर कार्यवाही के लिए निर्देश दे सकता है।
2. मानवाधिकार का हनन होने पर प्रशासन को भी कार्यवाही ओर उनसे जवाबदेही के लिए बाध्य करता है 
3. आयोग के पास सभी दीवानी आदालतों के अधिकार मौजूद हैं।
4.आयोग के सभी मेंबर की अवधि 5 वर्ष या मेब्बर की 70 वर्ष की आयु तक रहती है।
5. आयोग सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों की समीक्षा भी कर सकते हैं।
6.ओर सरकार को नए कानून में अपनी राय दे सकता है। 
7.आयोग अपनी रिपार्ट राज्य में राज्यपाल को ओर सेंटर मे राष्ट्रपति को देता है।
8. आयोग में नीयुक्ति राष्ट्रपति के नाम से प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है।
9.विपक्ष के नेता का भी नीयुक्ति में रोल रहता है।

भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को अभी सरकार ने कुछ मामलों में हस्तक्षेप करने से रोक दिया है व सरकार की कुछ डिफेंस फार्सीज में आयोग के हस्तक्षेप को रोक दिया है।
वेसे भी आयोग को किसी भी मामले में खुद से कोई कार्यवाही करने की शक्ति नही होती इसीलिए वो सीधा सरकार को इसकी सूचना देते है । क्योंकि जांच संस्था ओर धन की कमी के कारण आयोग की शक्तियां सीमित है।
बहुत से मामलों में तो सरकार आयोग की सिफारिशों को खारिज भी कर देती है।
आयोग ऐसे शिकायतों पर कुछ भी कार्यवाही नही कर सकता जिनको घटित हुए 1 साल से ज्यादा का समय हो गया हो इसीलिए बहूत सी शिकायते पर आयोग कोई एक्शन नही ले पाता।

NHRC In Corona Time

 Corona काल मे राष्ट्रीय मानवाधिकार ने काफी स्टेप ओर कार्यवाही की है आयोग ने अभी हाल ही में ओक्सिजन की कमी पर भी सरकार को मानवाधिकार पर उनके कर्तव्यों की याद दिलाई ओर जीने के अधिकार के बार मे सरकार से प्रश्न किया । क्योंकि स्थिति कुछ समय के लिए सरकार के हाथ से बाहर चली गई थी जो कि अब कंट्रोल में है ।

अभी हाल ही में कोरोना के कारण बोहोत से लोगो की जान गई जिसके बाद श्मशान घाटों में शवों की लाइन लग गई इसी बीच कुछ शव नदियों में बहते दिखे इस पर आयोग ने सरकार से शवो के अंतिम संस्कार पर सरकार को अधिकारो की याद दिलानी पड़ी और उनके परिजनों के अधिकारों के लिए आयोग ने राज्य सरकारों को भी उचित प्रबंधन करने के लिए कहा।
जिस पर राज्य और केंद्र सरकार ने तुरन्त कार्यवाही भी की ओर ऐसे लोगो पर अब पैनी नजर भी रखी जा रही है।
आयोग भी सरकार की तरह अपनी ओर से इस सिचवेशन पर नजर बनाए हुए है। 
आप आयोग को ओफिशियल साइट पर अपनी कोई भी कम्पलेंट भेज सकते हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से कैसे जूड़े

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से आप इनकी ओफिशियल साइट के माध्यम से जूड सकते हैं वहाँ शिकायत करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी दिया गया है जहाँ शिकायत कर सकते हैं या आप आयोग द्वारा किस कैसिज पर काम किया जा रहा  है और किन पर सुओ मोटो एक्शन आयोग ले रहा है इसकी जानकारी साइट से ले सकते हैं आप यहां क्लिक करें 👉NHRC 👈
या  mobile phone number 98-102-98 900 से 91-11-24651330,
91-11-24663333  
नम्बरों से आयोग से जूड सकते हैं टोल फ्री नम्बर भी मौजूद है 

14433 
 टोल फ्री नम्बर है 


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