कब्जा ओर मलकियत क्या है,क्या कब्जाधारी मालिक बन सकता है | कब होते हैं x Party

कभी कभार ऐसा भी होता है की हम या हमारे बड़े बुजुर्ग कीसी ओर की Property पर काफी लम्बे वर्ष तक कार्य करते हैं व उसे अपने नाम करवाना या इंतकाल करवाना भूल गए होते हैं लेकिन Revenue Department में उनका नाम उस जमीन पर कब्जाधारी के रूप में रहता है।

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मतलब ये हुआ कि वे काफी लम्बे अर्से के बाद भी उस जमीन के केवल कब्जाधारी मात्र रेह जाते हैं उन्हें मालिकाना हक प्राप्त नहीं हो पाता परिणाम स्वरूप आप केवल जमीन पर कार्य कर पाते है लेकिन हमेशा असली मालिक के वापिस लेने का डर सदैव बना रहता है। हम आज आपको इसी का ऊपाए आपको देंगे व कूछ कानूनी जानकारी देंगे।


कब्जा ओर मल्कीयत में क्या फर्क है

कब्जा व मल्कीयत में अंतर यह है कि आप किसी जमीन के मालिक तभी कहलाएंगे जब आपके पास उससे सम्बन्धित सभी अधिकार मौजूद है,फिर चाहे व अधिकार जमीन को बेचने का हो या गिरवी रखने का हो या उस पर कार्य करने का ओर इसके बाद आपके नजदीकी Revenue Department व पटवार खाने में भी आपका उस जमीन पर मालिकाना हक हो।

यदि ऐसा कूछ नहीं हो तो समझ जाइए का आप उस जमीन पर बिना किसी अधिकार के कार्य कर रहे हैं और उस जमीन पर और अधिक कार्य करना अब सही न होगा और उसे छोड़ देना उचित होगा। पर ठहरिए यदि आप उस जमीन पर मालिक ना होकर कब्जाधारी होकर पिछले काफी लम्बे समय से कार्य कर रहे है व खेतीबाड़ी कर रहे हैं तो आप नीचे पड़ते रहें ये आपके लिए ही नीचे जानकारी है।

क्या है तरीका जमीन अपने नाम करवाने का

आप तुरंत Revenue Department में रिकॉर्ड खंगाले इसके लिए आपको कुछ फिस देनी होगी उसके बाद आप पटवार खाने में रिकॉर्ड चेक करवा कर अपनी उस जमीन पर स्थिति क्लियर देख सकेंगे यदि आप कब्जाधारी हैं ओर पटवार खाना के रिकॉर्ड भी इस बात को पुष्टि कर देता है तो आप तुरंत बिना कोई देरी किए पटवारी से कहें कि आपके रिकॉर्ड में मेरा कितने समय का कब्जा दर्शा रहा है यदि उनका रिकॉर्ड आपका 12 वर्ष 18 वर्ष या इससे अधिक समय का कब्जा आपका दर्शा रहा है, तो आप उन्हे Indian Limitations Act 1963 का हवाला देकर बता सकते हैं या सूप्रिम कोर्ट का आदेश इस पर है कि यदि आपका कब्जा 12 वर्ष से अधिक है तो आप उसके मालिक होंगे ओर 12 वर्षो से असली मालिक ने भी कोई कोशिश नहीं कि अपनी Property वापिस पाने कि तो आप स्वयं ही मालिक होंगे इसका हवाला अपने पटवारी को दे।

लेकिन यदि फिर भी आपकी बात नहीं बनती है और आपको अपनी Property पर मालिकाना हक नहीं मिल रहा है आप केवल कब्जाधारी बन कर रह गए हैं जिसकी वजह से आप कोई भी संबधित अधिकार जो हमने ऊपर आपको बताए उनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं तो आप तुरंत दिवानी न्यायलय में अपना मुकदमा दर्ज करवाए इसके लिए आप अपने नजदीकी न्यायलय में जाकर किसी अधिवक्ता से मिले ओर अपने सभी Revenue Department के दस्तावेज कि प्रतिलिपि उन्हें दे जिसमे की आपको कब्जाधारी माना गया है।

कब तक होगा केस का निपटारा 

जब आप न्यायलय में अपना केस दर्ज करेंगे तो आपको असली या पुराने मालिक जो कि Revenue Department के रिकॉर्ड में अभी भी मालिक है उन्हे कोर्ट के समन भिजवाना होगा अब आप कितनी जलदी उनका सही address court को दे पाते हैं और कितनी जलदी उनका पक्ष कोर्ट सुन पाता है ये इस बात पर निर्भर करता है।

एक बात समय रहते उन्हे समन मिल जाए और वे ज्लदी से ज्लदी कोर्ट में हाजिर हो जाते हैं तो आपका मुकदमा महज एक वर्ष में ही निपट जाएगा। लेकिन कोर्ट द्वारा उनके address पर समन समय से नहीं पहुंच पाते तो केस कभी कभी बहुत लम्बे भी चल जाते हैं ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि कभी कबार असली मालिक उस जगह को छोड़ कर किसी दूसरे स्थान जा चुके होते हैं और फिर बिना सही address के उन तक पहुंच पाना मुश्किल होता है।

लेकिन यदि उनका पक्ष कोर्ट में एक बार आ जाए तो केस को निपटने में अधिक समय नहीं लगता ओर जरूरी गवाही बयान ओर बेहस होने के बाद केस 1 वर्ष या कभी कबार दो वर्ष में निपट जाता है।

कब केस कुछ महीने में ही ख़तम हो जाता है।

देखिए इस बात कि कोई गारंटी तो नहीं दी जा सकती कि केस कितने समय तक चलेगा ओर कब तक ख़तम होगा,क्योंकि कोर्ट सभी को बराबर सुनने का पूरा पूरा मौका देती है, और वह अब तक जमीन के मालिक है तो कोर्ट ओर कानून अंधा होता है उन्हे नहीं मालूम कि आप कितने वर्षों से कितने परिश्रम से उस जमीन पर कार्य कर रहे हैं या संभाले हुए हैं वे तो सभी को बराबर मोका देंगे अपने बात कहने का। 

लेकिन कभी कबार ये हो सकता है कि सामने वाली पार्टी या असली मालिक को कोर्ट के समन मिल गए हैं और इसके बावजूद भी वह कोर्ट में आके अपना कोई पक्ष नहीं दे रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में कोर्ट आपको ज्यादा इंतजार नहीं करवाएगा ओर 2 या 3 पेशियों के बाद कोर्ट अंतिम बार समन अखबार में छपवा देगा ओर इसके बाद भी दूसरी पार्टी का कोई पक्ष कोर्ट नहीं आता तो मामला X party हो जाएगा।

X Party क्या हैं।

देखिए जैसा की हमने ऊपर डिटेल में आपको बताया कि यदि पार्टी कोर्ट द्वारा बुलाने  व समन भेजने पर समन तो ले लेती है लेकिन कोर्ट नहीं आती तो मामला X party हो जाएगा मतलब कोर्ट मान लेगी कि व्यक्ति को property मे कोई दिलचसपी नहीं है ओर आपके द्वारा किए दावे को वो मान रहा है तो कोर्ट प्रापर्टी आपको ही सपूर्ध कर देगा ओर आपको मालिकाना हक प्रदान कर देगा। 

क्योंकि आप काफी लंबे समय से कब्जाधारी है तो हो सकता है कि केस आपके पक्ष में जाए, लोग कानूनी खर्चों से बचने के लिए भी कोर्ट का समन तो स्वीकार करते हैं लेकिन कोर्ट में अपना पक्ष रखने जाते ही नहीं। ओर फैसला वादी के पक्ष में चला जाता है। क्योंकि (सिविल) दीवानी केस में आप यदि आप न्यायलय ना जाए तो कोर्ट आपको जबरदस्ती आने को मजबूर नहीं करता बल्कि फेसला दूसरे के पक्ष में दे देता है तो लोग इसलिए दीवानी मुकदमों में न्यायलय नहीं जाते यदि उन्हें अपना पक्ष कमजोर भी लगे तो भी ।

आप इन सब के लिए अपने नजदीकी न्यायलय में जाकर किसी अधिवक्ता से मिलिए वही आपका केस लड़ेंगे ओर आगे की कार्यवाही कर सकते हैं, यदि आप गरीब है केस का खर्चा नहीं उठा सकते तो भी न्यायलय जाइए और अपने लिए मूफ्त कानूनी प्रक्रिया की प्राथना कोर्ट से करें जिसे कि Free Legal Aid भी कहा जाता है इसमें आपको मूफ्त में ही अधिवक्ता कोर्ट द्वारा appoint किया जाएगा।

आपको हमारा ब्लॉग केसा लगा हमे जरूर बताए ओर अधिक आम भाषा में कानूनी जानकारी पाने हेतु हमसे जुडे रहे ओर इस मामले पर ओर अधिक जानकारी के लिए आप contact us में जाकर हमसे ओर अधिक प्रश्न पूछ सकते हैं हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे कि आपके प्रश्नों का जवाब समय में आपको दे पाएं। कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताए आपको हमारा ब्लॉग केसा लगा धन्यवाद।


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