Police करें अरेस्ट तो क्या है आपके अधिकार | क्या करें गिरफ्तारी में और क्या नहीं करें गिरफ्तारी।
भारत देश संविधान से चलने वाला देश है,दुनिया का सबसे बड़ा संविधान केवल भारत के पास है, ओर भारत ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है। लेकिन कभी कबार हमारे जागरूक ना होने कि वजह से हम समझ नहीं पाते कि आखिर हमारे लिए क्या जरूरी है ओर हमारे क्या अधिकार है।
आज कूछ ऐसे प्रश्नों का जवाब हम आपको देने वाले हैं,बात करते हैं गिरफ्तारी कि तो हम आपको ये बताएंगे की हम कभी कबार ज्लदी मे फैसला ले लेते हैं, हम इसी ज्लदी मे कभी वो गलती कर बैठते हैं जो शायद हमें नहीं करनी चाहिए।
किन परिस्थिति में Police कर सकती है गिरफ्तार
पुलिस हर तरह के मामले में आपको Arrest नहीं कर सकती,पुलिस जब भी आपको arrest करेगी तो उसके पीछे एक बड़ा अपराध होने या करने का आप पर शक होगा या फिर आपके खिलाफ आदेश होंगे, ये बात बिल्कुल सही है कि पुलिस आप पर शक होने पर भी आपको Arrest कर सकती है, ओर यही पॉवर पुलिस कि सबसे बड़ी पॉवर है पुलिस ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार भी करेगी ओर पूछ ताछ भी करेगी,लेकिन अब प्रश्न ये है कि ऐसी सिचुएशन में आप क्या करोगे , आपके rights आपको पूरी शक्ति देते हैं कि आप गिरफ्तारी से पहले या गिरफ्तारी के बाद अपने रिश्तेदार ओर किसी भी नजदीकी व्यक्ति को इस बात कि जानकारी दे सकते हैं।
POLICE अधिकारी के गिरफ्तार व्यक्ति के लिए कुछ कर्तव्य ओर जिम्मेवारी।
कोई भी अधिकारी जब किसी भी व्यक्ति को Arrest करता है तो उस अधिकारी का सबसे पहला कर्तव्य बनता है कि वह उसे यह मौका दें कि Arrested व्यक्ति अपने रिश्तेदारों से संपर्क कर पाए और उन्हें अपनी गिरफ्तारी की जानकारी दे पाए और वह अपने किसी भी रिश्तेदार सगे संबंधियों से संपर्क कर पाए और अपनी गिरफ्तारी की जानकारी दे पाए ।
यह सभी नियम भारत में कोड ऑफ criminal Procedure 1973 में पहले से ही सेक्शन 41b में मौजूद है जिसके मुताबिक सभी पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी के कुछ नियमों को मारने के लिए बाध्य हैं इसकी इस सेक्शन 41b के मुताबिक उन्हें मुजरिम को गिरफ्तार करने से पहले उसकी पूरी तरह आइडेंटिफिकेशन को दुरुस्त करना होगा ओर इसके बाद उन्हें उस मुजरिम को अपने रिश्तेदारों से इस बात की जानकारी देने का पूर्ण मौका देना होगा।
किन मामलों में Police गिरफ्तार कर सकती है।
Police के पावर होती है कि वह किसी को किसी भी मामले में Arrest कर सकती है इसके बाद पुलिस ऐसे मामलों में भी व्यक्ति की गिरफ्तारी कर सकती है जब कोई व्यक्ति अपराध किसी पुलिस अधिकारी के सामने ही कर दे या मैं मजिस्ट्रेट के सामने कर दे, लेकिन इन सब के बाद एक बात है कानून की जोकि कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 मैं सेक्शन 41 में यह बताया गया है कि पुलिस जब भी किसी को गिरफ्तार करेगी तो मामला एक सीरियस टाइप का होना चाहिए जिससे कि कानून की भाषा में कॉग्निजेबल ऑफेंस कहा जाता है।इसके बाद यदि उस मामले में कम से कम सजा 7 साल होनी है वैसे मामलों में भी पुलिस किसी व्यक्ति को बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के Arrest कर सकती है और इसके बाद पुलिस किसी व्यक्ति पर शक होने पर भी किसी व्यक्ति को Arrest कर सकती है लेकिन किसी व्यक्ति को Arrest करके जेल में रखने की भी एक समय सीमा है जो कि कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 में पहले से ही मौजूद है जो कि 24 घंटे से ज्यादा नहीं है।
कुछ मामलों में पुलिस को यह शक भी हो सकता है कि संबंधित व्यक्ति कुछ दिनों बाद किसी भी खतरनाक अपराध को अंजाम दे सकता है ऐसे मामलों में भी पुलिस किसी व्यक्ति को Arrest कर सकती है बिना किसी पूर्व आदेश के ऐसे मामलों में भी पुलिस गिरफ्तारी कर सकती है जिन मामलों में Police को लगता है कि संबंधित व्यक्ति की प्रजेंस न्यायालय में जरूरी है।
कुछ मामलों में Police खुफिया सूचना के आधार पर भी ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार कर सकती है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होने वाला हो और वह किसी ऐसे अपराध के लिए जिम्मेदार हो जिसमें उन्हें कम से कम 7 वर्ष की सजा होने वाली हो। किस व्यक्ति के भगोड़ा घोषित होने पर भी Police उसे Atrest कर सकती है।
इनके सिवा किसी भी अन्य अपराध में जिसमें सजा 7 वर्ष से कम होने वाली हो या फिर कोई भी अपराध कोगनिजब्ल नेचर का जिसे आम इंगलिश में सीरीयस टाइप का ना हो ऐसे अपराधों में Police कभी भी किसी व्यक्ति को बिना किसी न्यायिक आदेश के Arrest नहीं करेगी।
कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 की धारा 41d में यह नियम बताया गया है कि अरेस्टेड व्यक्ति यानी गिरफ्तार व्यक्ति के पास यह अधिकार भी होता है कि वह गिरफ्तारी के बाद अपने पसंद के अधिवक्ता से बात कर सके और उसे अपने मामले की जानकारी देकर अपने मामले की पैरवी करने के लिए कह सके यह उसका कानूनी अधिकार है।
गिरफ्तारी पर क्या नहीं करें।
जब भी Police आपकी गिरफ्तारी करने के लिए आपके घर पर आए या फ़िर कहीं ओर जगह, पुलिस से बहस ना करके आप मामले की गहनता को समझने की कोशिश करें इसके बाद आप यह समझे कि पुलिस आपको किस अपराध में गिरफ्तार कर रही है यदि Police आपको अपराध की गहनता बताती है तो आप Police के साथ कॉर्पोरेट करें बजाय इसके कि आप Police के साथ बहस करें। यदि पुलिस ने आपको जिस अपराध के बारे में आपको जानकारी दी है और प Police ने आपको बताया है आपको इस सीरियस नेचर के आरोप में गिरफ्तार किया जा रहा है तो ऐसे समय पर आप Police की कार्यवाही को स्वीकार करें और गिरफ्तारी को स्वीकार करें इसके बाद आप पुलिस के साथ जाएं और Police को अपने अधिकारों के बारे में जरूर बताएं कि वह अपने सगे संबंधियों और किसी अधिवक्ता को अपनी गिरफ्तारी की जानकारी देना चाहता है Police आपको जरूर ऐसा मौका देगी।
कभी भी Police से गिरफ्तारी के समय बहस ना करें। कभी भी यदि पुलिस आपको यह बताएं कि आपको इस अपराध में Arrest किया जा रहा है और वह अपराध सीरियस मैटर का है या फिर उसमें आपको कम से कम 7 साल की सजा होने वाली है ऐसे समय में आप पुलिस की कार्यवाही में कोई भी अड़चन पैदा ना करें अन्यथा आप की मुश्किलें और बढ़ सकती है और इसके कारण आपको भविष्य में किसी अधिवक्ता द्वारा कानूनी लड़ाई लड़ने में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए पुलिस कार्यवाही में किसी भी तरह का हस्तक्षेप ना करें और पूरी तरह से सम्मान करें यह भी हो सकता है कि आप बाद में बिल्कुल पाक साफ निकले लेकिन इसके लिए आपको पुलिस कार्यवाही का सम्मान करते हुए किसी अधिवक्ता के जरिए कोर्ट में लड़ाई लड़नी होगी और आप यदि सही होंगे तो आप सही समय पर न्याय प्रक्रिया द्वारा सह सम्मान बरी हो जाएंगे।
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