सुप्रीम कोर्ट जजमेंट| लाउडस्पीकर पर भारत में विवाद सुप्रीम कोर्ट के आजतक के आदेश

Loudspeaker पर भारत में कानून सुप्रीम कोर्ट के आज तक के आदेश

 भारत देश संविधान से चलने वाला देश है भारत में दुनिया का सबसे बड़ा ओर महान सविंधान है ओर भारत में आज तक जो भी विवाद खड़े हुए हैं उनका अंतिम निपटारा किसी राजनीतिक आदेशों से नहीं बल्कि हमेशा से संविधान के अनुसार किया गया है,ओर इसी कारण आजतक भारत जैसे बड़े देश में बहुत से धर्म मजहब कुछ छोटे मोटे विवादों के बाद दुबारा एक दूसरे से मिल भी जाते हैं ओर शांति भी बनी रहती है, इसका पूरा श्रेय हमारे देश के सविधान ओर न्यायिक व्यवस्था को जाता है।

लाउडस्पीकर पर भारत में विवाद आज से नहीं बल्कि बहुत पुराना है।

 यह बात सही है कि भारत में लाउडस्पीकर का विवाद आज का नहीं बल्कि बहुत पुराना है लेकिन इसी के साथ बात अगर पड़ोसी मुल्क की की जाए तो पाकिस्तान भी इस विवाद से अछूता नहीं है बल्कि पाकिस्तान के कानून के हिसाब से देखा जाए तो वहां पर लाउडस्पीकर पूरी तरह से बैन है चाहे वह मस्जिद की अजान हो या फिर कोई और धार्मिक कार्य हो वहां पर लाउडस्पीकर पूरी तरह से बैन होता है।

लेकिन क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पूरी दुनिया में जानी जाती है इसलिए अब तक भारत में लाउडस्पीकर पर बहुत से विवाद होते हुए भी यहां पर मंदिरों और मस्जिदों में लाउडस्पीकर कुछ परिस्थितियों में स्वीकार थे और इसी के साथ यहां पर बहुत से धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन बहुत से मामलों में सरकार के हस्तक्षेप के बाद और अदालतों के आदेशों के बाद कुछ बदलाव नियमों में किए गए थे और ध्वनि को कुछ हद तक कंट्रोल करने की कोशिश की गई थी।

क्या था 2005 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश ।

2005 में सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था वह किसी धार्मिक मसले पर नहीं था ना ही किसी मजहबी मसले पर था। बल्कि 2005 में एक मामला सामने आया था जिसमें एक लड़की के साथ कुछ अपराधियों द्वारा एक आपराधिक घटना को अंजाम दिया गया था इस घटना के समय में आसपास कुछ लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा रहा था जिसके कारण लड़की की आवाजें और चिल्लाने चीख चिल्लाने की आवाजें आसपास के लोगों को नहीं सुनाई दी और जिसके कारण एक बहुत बड़ी घटना सामने आई इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि देश के तमाम राज्यों में जहां भी लाउडस्पीकर को इस्तेमाल किया जा रहा है उन्हें कुछ हद तक सीमित किया जाए क्योंकि कोई भी व्यक्ति लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते समय संविधान की धारा 19(1) का पक्ष नहीं ले सकता सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा की लाउड स्पीकर की आवाज को सीमित किया जाना बहुत जरूरी है ।


यह तमाम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन भी है इसके लिए राज्य सरकार को कोई समय सीमा बनानी होगी सुप्रीम कोर्ट ने इसमें यह कहा कि प्राइवेट लाउडस्पीकर पर सिर्फ 5 डेसिमल तक की आवाज होनी चाहिए। बल्कि इसी मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेस सरकारी वकील ने कहा कि ऐसे मामलों में राज्य सरकार और केंद्र सरकार है जुर्माना आदि भी लगा सकती है इसमें कम से कम 5000 तक का जमाना लगाने का राज्य सरकार के पास पूरा अधिकार है।


ऐसे मामलों में पुलिस लाउड स्पीकर को और स्पीकर से संबंधित सभी गैजेट को पूरी तरह सील भी कर सकती है सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रत्येक नागरिक को संविधान की आर्टिकल 21 के अनुसार शांतिपूर्ण जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है। ऐसे में ऐसे में धर्म के नाम पर मजहब के नाम पर या किसी और वजह से जबरदस्ती नागरिकों को एक ऊंची आवाज सुनाना और उनकी शांति को भंग करना कहीं ना कहीं उनके मौलिक अधिकारों का हनन ही है और इसका एक असर प्रकृति पर भी पड़ता है।


लाउडस्पीकर पर सरकार को थोड़ी सख्ती दिखानी होगी सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश के बाद रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक होने वाले तमाम लाउडस्पीकर पर सभी तरह के प्रोग्राम को बंद रखने की सलाह सरकारों को दी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रात्रि 10:00 से रात्रि 12:00 तक यदि किसी खास लोकेशन पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाना जरूरी है या किसी धार्मिक कार्य के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाना जरूरी है इसके लिए संबंधित व्यक्ति को लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से इसकी लिखित में इजाजत लेनी होगी।


कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अमूमन रात्रि के समय लाउडस्पीकर इस्तेमाल किए जाने की इजाजत राशन के द्वारा नहीं दी जाएगी 1 साल में केवल 12 से 15 बार ही रात्रि 10:00 से 12:00 तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल किए जाने की इजाजत दी जाएगी लेकिन रात्रि 10:00 तक लाउडस्पीकर को कुछ सीमा तक इस्तेमाल किया जा सकता है यदि लाउडस्पीकर किसी हॉल में यूज किए जा रहे हैं इसी कॉन्फ्रेंस हॉल में यूज किए जा रहे हैं इसके ऊपर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा लेकिन प्राइवेट लाउडस्पीकर पर केवल 5 डेसिमल तक की साउंड होनी अनिवार्य है इसके ऊपर सरकार है जमाना आज लगा सकती है और किसी सहरसा जंक्शन पर लाउडस्पीकर 75 डिसमिल से ज्यादा किसी भी सूरत में नहीं होना चाहिए।


इसके बहुत से मामलों में अलग-अलग समय पर कोर्ट  द्वारा कुछ आदेश दिए गए जिसमें राज्य सरकार को बार-बार इसके लिए कुछ समय सीमा और सख्ती बरतने की सलाह कोर्ट द्वारा दी गई कुछ समय बाद महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही कुछ आदेश महाराष्ट्र सरकार को दिया था जिसमें महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने पूछा कि राज्य सरकार बताया कि अभी तक लाउडस्पीकर के मामलों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने क्या कार्यवाही अपने राज्य में की है।

 इसके बाद भी समय-समय पर कुछ आदेश देश के तमाम राज्यों के हाई कोर्ट द्वारा आते रहे लेकिन 17 साल पहले 2005 में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उस आदेश की गाइडलाइनस  देश के तमाम राज्य में अप्लाई होती रही है।

क्या है नया मामला

लेकिन यह मामला फिर से एक बार सुर्खियों में आया और यह मामला महाराष्ट्र से शुरू हुआ लेकिन महाराष्ट्र की सरकार ने इस मामले को केंद्र सरकार के पाले में भेज दिया अब केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दे चुकी है लेकिन महाराष्ट्र से शुरू हुआ यह मामला सीधा-सीधा यूपी उत्तर प्रदेश में पहुंच गया और इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस मामले में सख्ती दिखाते हुए राज्य के तमाम लाउडस्पीकर वाली जगहों में आदेश पारित किया कि वह अपने-अपने लाउड स्पीकर  को सीमित करें।


यह मामला इतना तूल पकड़ गया कि उत्तर प्रदेश में इस मामले के कारण कुछ समय तक दंगे भी हुए पत्थरबाजी भी हुई जिसे कारण राज्य सरकार को आनन-फानन में सुप्रीम कोर्ट की 2005 की गाइडलाइन के अनुसार शक्ति से एक्शन लेना पड़ा और बहुत सी मस्जिदों और मंदिरों को अपने-अपने लाउडस्पीकर को वापस लेना पड़ा क्योंकि इस मामले में मस्जिदों के बाद कुछ हिंदू धार्मिक गुरु भी कूद गए थे और उन्होंने मस्जिदों से होने वाली तेज आवाज वाली अजान के जवाब में अपने मंदिरों से हनुमान चालीसा का पाठ लाउडस्पीकर पर शुरू कर दिया था जिसके कारण एक गरमा गरमी का माहौल उत्तर प्रदेश में हो गया था इस माहौल को शांत रखने के लिए और पत्थरबाजी को रोकने के लिए ऐसी घटनाओं को कंट्रोल में करने के लिए राज्य सरकार ने सख्ती दिखाते हुए राज्य में पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात भी किया और लाउडस्पीकर को सीमित करने का आदेश  दीया मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को इस मामले में सख्ती दिखाने के आदेश दिए और इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में उत्तर प्रदेश के तमाम धार्मिक स्थलों चाहे वह मस्जिद हुए मंदिरों इन सभी को अपने अपने किसी भी तरह के लाउडस्पीकर को उतारने के आदेश दिए।


इसके बाद लोगों ने इस फैसले का खुले दिल से स्वागत भी किया और लोगों ने कहा कि इस तरह के फैसले राज्य और देश में शांति बनाने के लिए बहुत जरूरी है लोगों ने अदालत के आदेश का पूरा पूरा समर्थन किया और स्वागत भी किया। हमारा मानना भी यही है कि देश में शांति का माहौल बनाए रखने के लिए सरकार को इस तरह के मामलों में गंभीरता से काम करना होगा और न्यायालय द्वारा ऐसे फैसलों का सरकारों और लोगों को भी पूर्ण स्वागत और समर्थन करना होगा तभी हमारा देश शांति से तरक्की की राह पर आगे बढ़ पाएगा।

आपको हमारा आज का लेख कैसा लगा इसके बारे में हमें कमेंट बॉक्स में जुड़ता है हमें आपका कमेंट बॉक्स में इंतजार रहता है और अधिक जानकारी जाने के लिए हमारे इस वेबसाइट के साथ जुड़े रहे हैं इसी तरह की शिकायत वह सजेशन के लिए आप कमेंट बॉक्स के साथ साथ इसी वेबसाइट के पेज कांटेक्ट अस के माध्यम से भी आप हमें अपने सुझाव व शिकायतें भेज सकते हैं धन्यवाद।





2 comments

Powered by Blogger.