मार पिटाई की धारा व सजा | कितने दिन में होगी सजा

 जब भी कभी हम किसी विवाद के बारे में सुनते हैं तो एक बात जरूर समझ में आती है की ये विवाद पर जरूर कोई बहस हुई होगी और भी किसी इसे मुद्दे पर जिस पर शायद आराम से बैठ कर बात की जा सकती थी। खेर एक सचाई ये भी है की आज का मानव विवेक को भूल चुका है ओर छोटी से छोटी बात पर भी मार पिटाई शुरू कर देता है।

वजह कुछ भी हो लेकिन हमारा इस आर्टिकल पर आपका ध्यान केंद्रित करने का मकसद केवल इतना सा है की आप जान सके की आखिर आपके देश भारत में यह गुनाह कितना बड़ा है ओर क्या सजा इस अपराध के लिए हो सकती है।

भारतीय दण्ड सहित 1860

भारतीय दण्ड सहित 1860 के तहत मार पिटाई दंडनीय अपराध हे ओर इस अपराध के लिए सजा का भी प्रावधान रखा गया है, क्योंकि यह अपराध पिछले कुछ वर्षो में बहुत अधिक बड़ा है तो पुलिस भी अधिक सजक रहती है, इस अपराध में अधिकतर लोग छोटी छोटी बातो में लड़ झगड़ कर एक दूसरे को नुकसान पहुंचा देते है, कभी कभी ये भी देख गया है की लोग केवल मार पिटाई तक ही नही रुके बल्कि किसी हथियार से भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते है जो की अलग से एक दंडनीय अपराध हे ओर शस्त्र के लिए अलग सजा सुनाई जा सकती है।


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     Picture Source:- unsplash 


क्या हे सजा IPC के अनुसार

यदि मामला भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 का ही तो यह दंडनीय अपराध हे ओर इसके लिए अधिकतम एक वर्ष की सजा का प्रावधान IPC मे दिया गया हे, लेकिन यदि कोई व्यक्ति किसी तेज धार दार हतियार या किसी ऐसे तरीके से चोट पहुंचाता है जिससे व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंच सकती है तो इसे मामले में सजा ज्यादा होती हे जो अधिकतम 3 वर्ष और जुर्माना है। ओर यदि यह मामला बहुत ही गंभीर हो जाता है तो इसके लिए अधिकतम 7 वर्ष व जुर्माना की सजा का भी प्रावधान है, जिसका लेख धारा 323 से 324 व 325 में मिलता है।


कितने समय में सजा मिल जाती हे मार पिटाई के मामले में।

इस तरह के मामले में कोर्ट को कुछ समय जरूर लगता है लेकिन इतना भी नही यदि मामला बिलकुल सीधा हे ओर इसमें सभी साक्षी उपलब्ध हैं तो यह मामला एक वर्ष में खत्म हो जाता है, लेकिन कभी कबार ऐसे मामलो में एक से ज्यादा वर्ष भी लग जाता है इसके बहुत से कारण हो सकते हे लेकिन उनमें एक वजह ये भी है की कभी कबार ये मामले झूठे भी होते हे जिसकी वजह से फैसले में भी देरी होती हे।

ऐसे अपराधों में आरोपी को बेल मिल जाती हे यदि केस में कोई कमी हो या कोर्ट को वकील संतुष्ट करवा देते हे की यह मामला अभी पूरे सच के साथ सामने आना बाकी है तो इसे मामले में कोर्ट आरोपी को कुछ कंडीशन लगा कर बेल पर छोड़ देती है, लेकिन यदि आरोपी उन कंडीशन को तोड़ता है तो वह दुबारा गिरफ्तार हो जाता है।

भारत की संसद में बिल हुआ पेश जिसमे indian evidence act, Crpc, ओर ipc को बदला गया नीचे लिंक पर क्लिक करें और पड़े क्या बदलाव हुए IPC यानी (भारतीय न्याय संहिता) में 


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